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विश्व रंगमंच दिवस किया गया नाट्य मंचन उत्तरकामायनी

कटनी

विश्व रंगमंच दिवस किया गया नाट्य मंचन उत्तरकामायनी

विंग्स थियेटर कटनी के द्वारा विश्वरंगमंच दिवस पर नाटक उत्तरकामायनी का मंचन शासकीय तिलक कॉलेज कटनी मै किया गया . इस एकल नाटक की प्रस्तुति मै अभिनय एवं निर्देशन राहुल बहरोलिया का था एवं नाट्य प्रस्तुति के मंचन मै मार्गदर्शन हिम्मत गोस्वामी रहा। आज 27 मार्च को जहां पूरी दुनिया विश्व रंगमंच दिवस मना रही है इसी क्रम में विंग्स थिएटर ने इसे सेलिब्रेट करने हेतु नाटक मंचन को चुना। नाटक की कहानी
उत्तर कामायनी विश्व भर के वर्तमान परिदृश्य पर सटीक और बेवाक प्रतिक्रिया देता है l विश्व पटल पर एक ओर रूस और यूक्रेन संकट तो दूसरी ओर चीन ताइवान संघर्ष एक दुस्वप्न को अनायास ही हर व्यक्ति के मानस पटल पर उकेर रहा है l एक ऐसा दुस्वप्न जो तीसरे विश्व युद्ध के पीड़ादायक दृश्य प्रस्तुत करता है l तीसरे विश्व युद्ध और परमाणु युद्ध के एकदम बाद की कल्पना को मंच पर साकार रूप मे मंच पर प्रस्तुत किया गया l नाटक में एक परिस्थिति विशेष है कि परमाणु अस्त्रों के इस्तेमाल के बाद इस विश्व में केवल एक ही व्यक्ति जीवित बच जाता है जो विश्व भर के भयंकर नरसंहार का अकेला साक्षी बनता है l परमाणु अस्त्रों के इस्तेमाल से विश्व ने स्वयं अपने हाथों से आत्मघात (आत्महत्या )कर लिया है और चारों ओर लाशें, भुने मांस के लोथड़े, गले सड़े क्षत विक्षत शव बिखरे पड़े हैं जिसमें निर्दोष जनता के साथ साथ निरीह जानवर भी शामिल है l जिस कायनात को कुदरत ने सदियों से सजाया, मानवता की हज़ारों पीढ़ियों ने सहेजा, वही कायनात अब राख के असंख्य ढेरों में बदल गई है l पूरी दुनिया बारूद के वीरान ढेर में बदल चुकी है और नाटक का नायक अपनी आँखों पर भरोसा नहीं कर पा रहा है जबकि युद्ध की विभीषिका से त्रस्त है l विश्व भर के भयंकर नरसंहार के दृश्य नायक को लगभग पागल सा बना देते हैं l इस पागलपन के दौरान विनायक बहुत से समसामयिक मुद्दों जैसे हथियारों की होड़, धर्म, जाति, संप्रदाय, सीमाओं और मानव की असीमित महत्वाकांक्षाओं पर एक करारी चोट करता है और दूसरी ओर निर्दोष जनता, प्रकृति, इंसान और इंसानियत की सशक्त पैरवी करता है और समाज को मानवता की रक्षा के लिए प्रेरित करता है l
इंसान एक जीवन में केवल एक बार ही मरता है लेकिन हथियारों की होड़ ने विश्व को इतना पागल कर दिया है कि विश्व भर के हथियारों से एक व्यक्ति को एक बार नहीं बल्कि 15000 बार मारा जा सकता है l प्रस्तुत नाटक “उत्तर कामायनी” हथियारों की होड़ पर बड़ा प्रश्नचिन्ह लगाता है जबकि विश्व में पनपी वर्तमान गम्भीर परिस्थितियों पर सोचने को मजबूर करता है l नाटक “उत्तर कामायनी” हथियारों की होड़ के अतिरिक्त विभिन्न समसामयिक मुद्दों पर बेवाक टिप्पणी करता चलता है लंटक के लेखा दलीप वैरागी जी है
नाटक मै अभिनय एवं इसका निर्देशन युवा अभिनेता राहुल बहरोलिया ने किया , लाइट पर सत्यम आरख, विंग्स थिएटर के सभी कलाकार आर वी एस नायडू , ऋतिक सेठिया,रविन्द्र शुक्ला,एवं तिलक कॉलेज के समस्त शिक्षक एवं छात्रों उपस्थिति थे,विंग्स थिएटर ने हिम्मत गोस्वामी के मार्गदर्शन में इस नाटक को प्रस्तुत किया जिसके लिए विंग्स थिएटर ने सभी पत्रकार बंधुओं का आभार व्यक्त किया

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