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भरत जी के समान राम का कोई प्रेमी नहीं…..आचार्य पं लक्ष्मीकांत शास्त्री

भरत जी के समान राम का कोई प्रेमी नहीं…..आचार्य पं लक्ष्मीकांत शास्त्री

विजयराघवगढ से तहसील अंतर्गत ग्राम संन्यासी चौरा पिपरिया काप में आयोजित संगीतमय साप्ताहिक श्रीमद् बाल्मीकि रामायण कथा के पंचम दिवस मे आचार्य पं लक्ष्मीकांत शास्त्री ने कहा कि भरत जी के समान राम का कोई प्रेमी नहीं है। भरत जी के समर्पण और प्रेम का वर्णन संसार में कोई दूसरा नहीं कर सकता। भरत राम की चरण पादुका को अयोध्या में स्थापित कर राम राज की स्थापना की थी।श्री राम के चौदह वर्ष वनवास से लौटने तक उनका राज्य की सिर्फ देखभाल की राजा की जगह श्रीराम की चरण पादुका रही राम अपनी धर्म और नीति के प्रति दृढ़ रहे राम की छवि अनुसार भरत भी अपने भाई के प्रति कर्तव्य का पालन करते हुए देश दुनिया को भाई के प्रति एक संदेश दिया भाई होतो भरत की तरह श्रीराम के साथ गलत बरताव की बजह से भरत ने माता का भी त्याग कर दिया था जब श्रीराम ने भरत को सत्यता बताई सच्चाई जान कर भरत ने माता कौशल्या को प्रणाम किया था कथा का तात्पर्य यह कहा की मा तो मा होती है चाहे वह सौतेली ही क्यो न हो राम को वनवास देकर सिहासन दिलाना भरत को न्याय उचित नही लगा और उन्होंने इस का विरोध किया तथा राम जी के वनवास वापसी के बाद सिंहासन देकर अपने छोटे भाई का फर्ज अदा किया।अलौकिक कथा का रसपान करे श्रद्धालुओं की अच्छी खासी भीड़ उमड़ रही है। आज कथा मे श्रीमती सारिका डॉ अनिल मिश्रा, पं अवधराज तिवारी,पं विमलेन्दु पयासी,पं काशी प्रसाद तिवारी, भगवानदीन यादव,लक्ष्मण तिवारी,विजय तिवारी,पुष्प्रेन्द्र सिंह बघेल,राजू सिंह रघुवंशी,तेज भान सिंह,रमेश विश्वकर्मा,ध्रुव विश्वकर्मा हनुमान प्रसाद निगम सहित अन्य भक्तों की उपस्थिति रही

शेरा मिश्रा पत्रकार विजयराघवगढ़ 9893793302

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